इंद्र और कृष्ण

 आर्य भारत आए ज्ञान प्राप्ति के लिए  यहाँ उन्होंने चारों दिशाओं में पूर्व में द्वारिका पश्चिम में पुरी उत्तर में बृन्दावन एवं दक्षिण मेंतिरुपति सब जगह भगवान कृष्ण को पूजित पाया अतः कृष्ण नाम से किनारा करने के लिए वेदों में भटकाना चाहा यहां तक कि क्याक्या कहा ( ऋगवेद 8/130/1, 1,2/101/1 )

चारों तरफ इंद्र ही इंद्र को वेदों में पूजित बताया 

फिर आया अथर्ववेद का समय जिसमें कृष्ण का वर्णन इंद्र के स्थान पर किया गया ( अथर्ववेद 7,8/137/20 ),

पुराणों का गठन हुआ और असली ज्ञान भग्वद्गीता का आर्यों ने पाया जिसमें वेदों के स्थान पर कर्मफल के त्याग का तथा परमात्मा कीप्राप्ति का साधन बताया गया और वेद उद्पानगीता 2/46 ) कहे गए एवं श्रुति परायण को चतुर्थ ( गीता 13/26 )बताया गया  

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