वेदज्ञान

 क्या है वेदों में यह जानने का विषय है ॥ आर्य यहां आकर बस गए और सबको दिया ऋषियों से प्राप्त ज्ञान ॥स्त्री प्रेम में पुरुरवा उर्वशी कथानक , देवदूतों पर यम यमी कथानक , कल्याणकारी वृषाकपि इन्द्राणी कथानक , नचिकेता यम कथानक आदि आदि ॥ महत्वपूर्ण है मधुविद्या कथानक (मधु त्वा मधुला चकार ) यानि मधुविद्या का ज्ञान ॥ यहां त्वष्टा अपनी पुत्री का विवाह करना चाहते हैं अतः सूर्य की पत्नी सरण्यू को घोड़ी के रूप में देवताओं ने छिपा दिया फिर घोड़ी से अश्विनीकुमार द्वय पैदा हुए चूंकि त्वष्टा नें मधुविद्या अथर्वऋषि पुत्र दध्यंग को दी थी अतः इंद्र के मना करने के बाद भी अथर्वऋषि पुत्र ने  अश्वमुख से अश्विनीकुमारों को यह विद्या दी जिससे क्रुद्ध इंद्र ने वज्र से उसका सिर काट दिया अथवा मुंडवा दिया ॥ एक वज्र दधीचि की हड्डियों का भी इंद्र के पास है जिससे वृत्र राक्षस को पानी रोकने के कारण मारा , लोहे का वज्र भी इंद्र के पास है जो वीरता के काम आता है ॥

तमाम 33 देवतावों का यज्ञ द्वारा पूजन करके हवि पहुंचाना मनुष्यों का कार्य है अग्नि इस कार्य को करते हैं ॥ तमाम नीतियों का जिक्र है परन्तु धनप्राप्ति एवं गायप्राप्ति में  उस पर कब्जा करने वालों को देवताओं से दण्ड देने का अनुरोध है स्वयं कुछ नहीं करना ॥भगवान विश्वकर्मा ने सृष्टि बनाकर समाधि ले ली, 

भगवान ब्रह्मा ने जीवदुनिया बनाई भगवान विष्णु उसकी व्यवस्था करके चले गए और भगवान रुद्र सबका विनाश करते हैं ॥ यह सब परम पुरुष का ही अंश है जो सब चल रहा है लेकिन उसको जानना सम्भव नहीं है ॥ रही वेदमंत्रों के शक्ति के बारें जिज्ञासा तो वाल्मीकि रामायण में स्पष्ट किया है यह शक्ति अथर्वऋषि कुल के श्रंगीऋषि द्वारा ही भगवान राम के जन्म के समय की गई ॥ अन्य विवरण तमाम सूक्तों में अलग अलग दिया गया है ॥

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